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चांद के रहस्य क्या है। Mysteries About Moon

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पृथ्बी का उपग्रह चांद पृथ्बी में मौजूद जीबन के अस्तित्व को लेकर एक महत्वपूर्ण योगदान निभाता है। चांद जो हमे रात को प्रकाश प्रदान करता है, यह पृथ्बी के करीब होने के बाद भी ऐसी कई इसे रहस्य मौजूद है जो हम नही जानते है, जैसे चांद की उत्पत्ति कैसे हुआचांद की उम्र क्या है, चांद पर पानी के साथ साथ बर्फ भी है, क्या चांद खोखला है, चांद की दूसरी तरफ क्या है, क्या चांद पर भी मौजूद है ज्वालामुखी, और क्या है चांद के चुंबकीय क्षेत्र

चांद का रहस्य क्या है

चांद का रहस्य सुलझाने के लिए हमने बहुत बार चांद पर गए है, और इसके साथ साथ बहुत से रोबोटिक अंतरिक्ष यान भी भेजा है। वैसे तो अपोलो मिशन ने हमें चांद के कई रहस्यों को सुलझाने में मदद किया है लेकिन इसके बावजूद चांद को लेकर बहुत से रहस्य मौजूद है, जो अभी भी सुलझाना बाकी है, इसी वजह से चांद को लेकर अभी भी शोध जारी है।

चांद की उत्पत्ति कैसे हुआ

चांद की उत्पत्ति कैसे हुआ इसे लेकर बहुत से सिद्धांत हमारे पास मौजूद है लेकिन किसी भी सिद्धांत को अभी तक पूरी तरह से सटीक ठहराया नहीं गया है और इन सिद्धान्तों को पुष्टि करने के लिए भी हमारे पास कोई रास्ता नहीं है, इसीलिए चांद की उत्पत्ति कैसे हुआ यह सवाल भी अभी तक एक रहस्य बना हुआ है।

चांद की उम्र क्या है

चांद की उम्र क्या है इसको लेकर अभी भी बहस जारी है कि हमारा चांद कितना पुराना है, वैज्ञानिकों अपोलो द्वारा वापस लाए गए चांद की चट्टानों का विश्लेषण करने के बाद पाया कि यह क़रीब 4.51 अरब साल पुराना है। लेकिन इसे लेकर मतभेद मौजूद है और अभी भी कोई सठीक से चांद की उम्र का अनुमान नही लगा पाया है। और यह सवाल भी अभी तक एक रहस्य बन कर है।

चांद पर पानी के साथ साथ बर्फ भी है

चांद से लौटने के लगभग 40 साल बाद अपोलो मिशन द्वारा वापस लाए गए रॉक सैंपल के अंदर पानी मिला था। इसके अलावा भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने भी चांद पर पानी की खोज किया था।

लेकिन हाल ही में एक और बात सामने आयी है कि, चांद पर पानी के अलाबा बर्फ भी मौजूद है। जिसे लेकर बैज्ञानिक चांद के बारे मे जानने में ओर ज़्यादा दिलचस्पी दिखा रहे है, वह यह जानना चाहते है कि, चांद की सतह पर कहां कितना बर्फ है, और यह बर्फ और पानी यहां कैसे आयी।

क्या चांद खोखला है

चांद अंदर से खोखला है, ऐसा इसीलिए कहा जाता है क्योंकि साल 1969, 20 नवंबर को अपोलो मिशन के दौरान जब एक छोटे अंतरिक्ष यान को नीचे उतारा गया तो उस यान की टकराव की वजह से चांद की सतह में भूकंप जैसा हाल हो गया था और क़रीब एक घंटे तक कंपन और आवाज़ करती रही। और ऐसा तभी संभव होता है जब कोई चीज धातु से बना हुआ हो और अंदर से खोखला हो। इसके साथ-साथ चांद की सतह पर भारी मात्रा में यूरेनियम और नेपच्यूनियम भी पाए गए है जो इसे संदेह जनक बनाता है।

चांद की दूसरी तरफ क्या है

आपको शायद पता नही होगा कि, हम हमेशा चांद की सिर्फ सामने का भाग ही देखते है, जहां रोशनी पड़ता है लेकिन चांद की पीछे का भाग हम कभी नही देख पाते है, जहां कोई रोशनी नही पड़ता। शोधकर्ताओं के मुताबिक चांद के पिछले भाग बहुत ज्यादा ठंडा है और यहां पर बर्फ भी मौजूद है।

क्या चांद पर भी मौजूद है ज्वालामुखी

हालांकि वर्तमान समय में चांद पर ज्वालामुखी को फूटते हुए नहीं देखा जाता है, लेकिन शोध से पता चला है कि चांद पर भी ज्वालामुखी मौजूद है जो पहले सक्रिय थी लेकिन अब यह निष्क्रिय होकर चांद पर सिर्फ अपना मौजूदगी दर्शाता है। वैज्ञानिकों का मानना है हम अगर इन ज्वालामुखी के बारे में जान पाए तो हमे चांद के कई रहस्य का पता चल सकता है।

चांद के चुंबकीय क्षेत्र

जब अपोलो अंतरिक्ष यात्री द्वारा लाये गए चांद की नमूने का परीक्षण किया गया तब बैज्ञानिकों को पता चला कि, चांद की कुछ चट्टानें चुंबकीय थी, जो एक चौकाने वाली बात है। और बैज्ञानिक यह जानने की इच्छुक है कि चांद में चुंबकीय क्षेत्र कैसे बना, और कैसे काम करता था।

उपसंहार

इन सब रहस्य के बावजूद चांद से जुड़ी अन्य कई रहस्य मौजूद है और इन्ही अनसुलझी रहस्य का पता लगाने के लिए नासा ने साल 2024 तक एक बार फिर से अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने की तैयारी किया है। और वैज्ञानिकों ने इसे लेकर पुष्टि भी किया है, कि चंद्रमा में अभी भी कई रहस्य है जिन्हें हमें तलाशने की आवश्यकता है।

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